भारत रत्न स्मृतिशेष कर्पूरी ठाकुर जी के जन्म दिवस (24 जनवरी) विशेष

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समाजिक न्याय व सामाजिक परिवर्तन के महानायक , जननायक, पूर्वमुख्यमंत्री (विहार सरकार) कर्पूरी ठाकुर जी के 100 वीं जन्म दिवस के शताब्दी समारोह में उनके जीवन पर्यन्त किए गए कार्यों को नमन करते हुए वर्तमान भारत सरकार द्वारा 24 जनवरी 2024 को उनके जन्म जयंती के अवसर पर भारत का सबसे बड़ा पुरस्कार *भारत रत्न* देने की घोषणा की गई। इस कार्य के लिए भारत सरकार का बहुत – बहुत आभार और धम्मवाद।आज कर्पूरी ठाकुर जी के जन्म दिवस के अवसर पर मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि समर्पित करता हूं। हाथी पर एक कहावत प्रसिद्ध है, *हाथी की चाल चलिए*, अर्थात् कोई क्या कह रहा है, उसके बातों को ध्यान न देते हुए अपने कार्य (चाल) पर ही ध्यान देते रहें । कर्पूरी ठाकुर पूरे उम्र हाथी की चाल चलते रहे,जो कार्य वे ठान लेते थे ,उसे पूरा करने में एड़ी – चोटी का जोर लगा देते थे और पूरा करके ही दम लेते थे। उनका पूरा जीवन मानवता को समर्पित रहा। वे सदैव जनता की सेवा के लिए प्रस्तुत रहते थे। विश्व के महानतम सम्राट, सम्राटों के सम्राट, विश्व धम्म विजेता प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान की कर्म भूमि रही है विहार।कभी पाटलीपुत्र (पटना) की भूमि से पूरा विश्व संचालित होता था। शाक्य मुनि तथागत गोतम बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति और सम्राट अशोक महान की कर्म (कम्म) भूमि विहार से समय-समय पर भारत वर्ष के अनेक महापुरूषों ने जन्म लिया है। ऐसे ही बीसवीं शताब्दी में विहार लेनिन बाबू जगदेव प्रसाद और जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के जन्म से विहार की धरती धन्य हुई। ये सभी महापुरूष लोगों को सदैव लोक कल्याण कारी कार्य करने को प्रेरित करते रहे। कर्पूरी ठाकुर जी का जन्म 24 जनवरी 1924 ई.को विहार के समस्तीपुर जिले के ‘पितौंझिया’ ग्राम में हुआ था। वर्तमान में उनके ग्राम का नाम उनके ही नाम पर *कर्पूरी-ग्राम* कर दिया गया है।कर्पूरी ठाकुर जी के पिता जी का नाम स्मृतिशेष माननीय गोकुल ठाकुर और माता जी का नाम स्मृतिशेष माननीया रामदुलारी था।वे जन्म से ही एक कुशाग्र बुद्धि के बालक थे। उन्हें अपने कार्यों से आनन्द मिलता था। धुन के पक्के थे। विषय वस्तु की समझ उनमें गहरी थी। जीवन भर शिक्षा के महत्व को लोगों को समझाते रहे, सिखाते रहे। अपने जीवन के कार्यों के कारण ही उन्हें *जन नायक* की उपाधि मिली। एक साधारण परिवार जन्म लेकर अच्छी शिक्षा प्राप्त कर वे सबसे पहले अध्यापन के क्षेत्र में जुड़े और बहुत ही अच्छे अध्यापक सिद्ध हुए। कर्पूरी जी ज्योतिबा फूले और सावित्री बाई फूले जी के शिक्षा क्रांति से भलीभांति परिचित थे। वे हमेशा बच्चों को ऊंची से ऊंची शिक्षा प्राप्त करने को प्रेरित करते रहे। सादगी ही उनके जीवन की पहचान है और वे इसे पूरे जीवन बनाए रखे। ‘जननायक’ के रूप में मशहूर कर्पूरी ठाकुर दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे।कर्पूरी ठाकुर जी अपने मुख्यमंत्री काल में मुंगेरी लाल आयोग (1978) के आरक्षण को लागू करके सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक न्याय के कारवां को आगे बढ़ाने का कार्य किए। यद्यपि इस कार्य के लिए उन्हें तरह तरह से अपमानित करने का प्रयास किया गया लेकिन वे बिना प्रभावित हुए अपने मिशन में लगे रहे। यह कार्य उनके राजनीतिक सूझ-बूझ और महानता को दर्शाता है। मुंगेरी लाल आयोग के आरक्षण को विहार में लागू करवाने का कार्य,भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर के आरक्षण को आगे बढ़ाने का एक ऐतिहासिक और साहसिक कार्य रहा कर्पूरी ठाकुर जी इस कहावत को भी सच्च सिद्ध कर दिए *मानव जब जोर लगाता है, पत्थर भी पानी बन जाता है।* इतिहास में अनेक महापुरूषों के नाम अमर हैं, जिन्होंने कभी ये नहीं देखा की, मेरे पास क्या है, क्या कमी है, बस खुद को इतना काबिल बनाए कि उनपर कोई भी लेखक उन पर दो शब्द चला सके,चाहें वो अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर, मिसाइल मैन भारत रत्न डॉ APJ अब्दुल कलाम( पूर्व राष्ट्रपति) या कर्पूरी ठाकुर हों। ये सभी लोग अपने लोक कल्याण कारी कार्यों के बल पर ही महापुरूषों के श्रेणी में आए। कर्पूरी ठाकुर जी अपना जीवन सादगी पूर्वक जीते रहे । सादा – जीवन,सच्च विचार के वे प्रबल समर्थक थे । समय का कारवां कब बीत गया पता ही नहीं चला।कर्पूरी ठाकुर के जीवन का अंतिम क्षण भी आ गया।अंततः 17 फरवरी 1988ई. को एक सम्यक , सरल, सुलभ व सफल जीवन बिताते हुए कर्पूरी ठाकुर प्रकृति में विलीन हो गए । कर्पूरी ठाकुर जी अपने कार्यों से अपना नाम भारतीय इतिहास के अंतरिक्ष में एक सितारे (कर्पूरी ठाकुर) के रूप में अंकित करा गए। कर्पूरी ठाकुर जी के सादगी भरे जीवन को यदि हम सभी अपने जीवन में उतार दें, तो इस भागम-भाग जिंदगी में एक सम्यक मुकाम प्राप्त कर लेंगे।कर्पूरी ठाकुर जी का जीवन संदेश,सभी भारतीयों के लिए अनुकरणीय और मंगल कारी है। कर्पूरी ठाकुर के सपनों का भारत वर्ष बनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रंद्धाजलि होगी।

भारत रत्न स्मृतिशेष कर्पूरी ठाकुर जी अमर रहें।

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