
स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आज बंधुत्व मंच गाज़ीपुर की ओर से एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी थीम स्वतंत्रता और बँधुत्व:एक अटूट बंधन रखा गया। जिसमें सभी सम्प्रदाय के लोगों ने हिस्सा लिया
कार्यक्रम की शुरुआत बँधुत्व मंच के सदस्य सतीश उपाध्याय के उदबोधन से हुई,उन्होंने कहा कि आज देश मे लोगों को जाति-धर्म के नाम पर लड़ाया जाता है’सभी पार्टी सिर्फ अपना उल्लू सीधा करती हैं और हम सब आपस मे लड़ जाते हैं ।हमें इनसब चीज़ों से ख़ुद भी बचना है और समाज को भी बचाना है ताकि बँधुत्व को बढ़ावा मिल सके। बँधुत्व मंच के साथी संजय यादव ने कहा कि हमे अपने आस पास के माहौल को सौहार्दपूर्ण बनाए रखना होगा क्योंकि कुछ लोगों का प्रयास रहता है कि इस तरह के माहौल का निर्माण ही न हो। बँधुत्व मंच के साथी शहनवाज़ जी ने कहा कि इस तरह की गोष्ठी करने से आपसी भाईचारे को बढ़ावा मिलता है और मिल जुल कर रहने की सीख मिलती है ।मेंटर फरीद आलम जी ने कहा कि जब देश गुलाम था और 1947 में जब अग्रेजों से भारत ने आज़ादी हासिल की और जब वो देश छोड़कर जा रहे थे उनकी संख्या 33000 हज़ार थी और भारत की उस समय जनसंख्या 37 करोड़ थी।अब सोचिए कि इन्ही 37 करोड़ में से लोगों ने हीअंग्रेजों की मदद की तभी वो इतने समय तक हम पर राज करते रहे.आज अगर हम आपस मे मिल जुल कर नही रहेंगे तो वो समय भी दूर नही जब हम नेताओँ के गुलाम बन कर रह जाएंगे ।मेंटर साकिब जी ने कहा कि यहाँ पर सभी सम्प्रदाय के लोग हैं और सब एक साथ बैठकर चर्चा कर रहे हैं,कोई भेदभाव नही दिख रहा है और कुछ देर में हम सभी साथ बैठकर भोजन भी करेंगे,यही माहौल हमें समाज के अंदर भी लाना है ताकि आपस मे कोई जाति- धर्म की बात न करे ।अंत मे सभी साथियों ने एक साथ बैठकर भोजन किया गया,मौसम को देखते हुए बाटी चोखा और दाल की वयवस्था की गई थी।इस गोष्टी में लियाक़त अली, आबिद अंसारी ,अमज़म, असगर, अभिषेक,अखिलेश, मिथलेश कुमार, अनुज,कथा वाचक पंडित जी,शमशाद, नन्दलाल गुप्ता, शहनवाज़ ,
सरफराज़,जीता यादव, और बस्ती के कुछ सम्मानित साथी उपस्थित रहे।





