
गाज़ीपुर,इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, आस्था महिला एवम बाल विकास संस्थान ने किया स्वागत
11 वर्षीय नाबालिक से बलात्कार के प्रयास के एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए कड़ी टिप्पणी की है कोर्ट ने माना कि यह घटना स्तब्ध करने वाला और असंवेदन शाली करार दिया जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन जेआरसी की विशेष अनुमति याचिका स्वीकार कर ली गई है जिससे संगठन को पीड़िता की पैरवी की अनुमति मिली आस्था महिला एवम बाल विकास संस्थान जौनपुर चंदौली गाजीपुर एवं सोनभद्र से बाल अधिकरो के लिए काम कर रहा है जेआरसी की प्रमुख सहयोगी संस्था है आस्था महिला एवम बाल विकास संस्था के निदेशक संतोष पांडेय ने कहा अगर देश में एक भी बच्चा अन्याय का शिकार होता है तो जेआरसी उसके साथ खड़ा दिखाई देगा सुप्रीम कोर्ट का रुख दर्शाता है कि न्याय पालिका बच्चो के अधिकारों के प्रति संवेदन शाली है उक्त मामले में निचली अदालत ने आरोपियों पवन और आकाश को आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत तलब किया था लेकिन हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बच्ची के वक्ष को छूना उसे जबरन पुलिया के नीचे घसीटना और फिर भाग जाना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता कोर्ट ने आरोपों में बदलाव कर आरोपी पर धारा 354 बी और पॉक्सो एक्ट की धारा 9/10 लगाई पीड़िता की ओर से अधिवक्ता रचना त्यागी ने कहा कि इस मामले में तीन साल से ज्यादा समय तक बिना अनौपचारिक जांच के कानूनी कार्यवाही चलती रही जो गंभीर अन्याय है सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य संबंधित पक्षों ने नोटिस जारी किया है*इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, आस्था महिला एवम बाल विकास संस्थान ने किया स्वागत*
11 वर्षीय नाबालिक से बलात्कार के प्रयास के एक मामले में
